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अपराईट भविष्य कथन का महत्व



दया, नए विचार / राय, विद्वान, अभिव्यक्ति, वित्तीय अवसर, कौशल विकास।

आपके भीतर दया भाव है ऐसा यह कार्ड दिखाता है।
राज कुमारी मारिशा के जैसे आप सूर्य को पाना चाहते हैं और उसे हासिल करके ही रहोगे। मतलब कितना भी कठिन कार्य हो आप डरते नहीं हटते नहीं। आपके दिमाग में सतत नए विचार / राय चलते रहते हैं। आपकी समझ एक विद्वान के जैसी है।आप अपने विचारों की अभिव्यक्ति सकारात्मक तरीके से करते हैं। आपको मालूम है कौनसी चीज कब बोलनी है। आपको मालूम है कब क्या करना है। आपके जीवन में वित्तीय अवसर निर्माण हो रहे हैं। आपको अपने कौशल विकास पर ध्यान देना होगा। नया नया कुछ सीखना होगा।

रिवर्स भविष्य कथन



विद्रोही, बुरी खबर, प्रगति की कमी, विलंब, असफलता से सीखो।

आनेवाले समय में घर के लोग, कम्पनी के लोग आपके लिए विद्रोही बनेंगे।आपके प्रति बुरी खबर कैसे निर्माण होगी, आपकी प्रगति की कमी कैसी होगी इसी के फिराक में यह लोग रहेंगे। जिससे आपके काम में विलंब हो सकता है। लेकिन यह सब आपके गुरू है। इनसे सीखना है कि क्या नहीं करना चाहिए। अगर उन लोग के कारण आप असफल बन गए तो भी अपनी असफलता से सीखो। असफलता से सीखना अपने आप में एक बहुत बडी बात हो जाती है।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



एक सेवक पीले आकाश के नीचे है। उसका सिर लाल कपड़े से और बदन का उपरी हिस्सा हरे रंग के कपड़े से ढका हुआ है। वह दूर खुले मैदान में आसमान में पेंटाकल को छूने की कोशिश कर रहा है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


एक सुंदर ऋषि कन्या सूरजमुखी के खेत के पास खड़ी है। वह पेंटाकल की तरफ देखते हुए हंस रही है। सूरज की प्रभा फैल रही है। हरा-भरा खेत सूरजमुखी से लहरा रहा है। वह मारिशा है। जो अपने पिछले जन्म में रानी थी। मारीशा के रूप में, वह भगवान सूर्य की भक्त थी। सूरज बहुत शक्तिशाली था इसलिए वह उससे मिल नहीं पा रही थी। वह भगवान सूर्य के साथ रहने के लिए पर्याप्त शक्ति नहीं जुटा पा रही थी।

घोर तपस्या के बाद उसे सुबह से शाम तक सूर्य को देखने के लिए सूर्य के फूल के रूप में आशीर्वाद दिया गया था। तबसे सूरज मुखी के फूल हमेशा सूर्य देव के दर्शन करते रहते है।

(अग्नि पुराण से मारीशा की विस्तृत कहानी।)

मारिषा

मारिषा अपने पूर्व जन्म में रानी त्रिकलनयनी के नाम से जानी जाती थी। उसका साम्राज्य सरस्वती नदी के पात्र में पानी के नीचे गहराई में था। वह अपने नयनों से पानी के भीतर से उपर के सूर्य नारायण को हमेशा देखती रहती थी। सूर्य देव की आभा उसे बहुत आकर्षित करती थी। उसने मन ही मन में सूर्य देव को अपना पति मान लिया था।

त्रिकलनयनी को श्राप था। कि अगर अपने राज पाट को छोड बाहर गई तो वो अंधी हो जाएगी। और उसका राज पाट एवं स्वयं सरस्वती नदी लुप्त हो जाएगी। अपने श्राप से भली भांती वो वाकिफ थी। किंतु आजन्म विवाह ना करते हुए सूर्य नारायण को सुबह से शाम देखती रहती थी। एक सहस्त्र वर्ष तक उसकी यह तपश्चर्या जारी रही। जब उसका अंतिम समय आया तो स्वयं सूर्य नारायण उसके सामने प्रकट हुए और उन्होने त्रिकलनयनी को उसकी अंतिम इच्छा पूछ ली।

बिना हिचकिचाहट के उसने बताया कि उसने सूर्यदेव को पति मान लिया है अत: जीवन के अंतिम क्षण में वो उनके साथ पत्नि जैसा समय बिताना चाहती है। उसकी भक्ति देखकर सूर्य देव को दया आयी और उन्होने तथास्तु कहा।

रानी त्रिकलनयनी के श्राप से सूर्यदेव अनभिज्ञ थे। जैसे ही रानी ने सूर्यदेव की कामना करते हुए अपना राज पाट छोड दिया उसके नयनों की रोशनी चली गई। और उसके मार्गक्रमण में अंधेरा छा गया। उसे आगे का मार्ग दिखाई देना बंद हुआ। अब उसने सोचा कि वापस अपने राज्य में चले जाए।

किंतु तब तक दूसरा श्राप लग गया था और सरस्वति नदी लुप्त हो चुकी थी। वो नीचे रेगिस्तानी जमीन पर गिर गई। और उसके प्राण पखेरू उड गए।

उधर सूर्य नारायण अपने हर दिन के कामकाज में व्यस्त थे। उन्हे त्रिकलनयनी का वादा याद न रहा। दोपहर की सूर्य की आग ने त्रिकलनयनी के शरीर की भाप बना दी। रात को अपने महल में सूर्यदेव विश्राम के लिए गए तो नारायण नारायण का घोष करते हुए नारद मुनी उनके पास गए।

नारद मुनी ने सूर्यदेव को वादे की याद दिलाई। तब वादा याद ना रखने के कारण सुर्यदेव को पश्चात्ताप हुआ। उन्होने आकाशवाणी की कि अगले जन्म में मारिषा कण्व ऋषी के आश्रम में जन्म लेगी।

समय के मुताबिक मारिषा ने पुन: जन्म लिया। किंतु उसका प्रेम सूर्य नारायण के लिए जरा भी कम न हुआ।

वो दिनभर सूर्यदेव के दर्शन करती रहती। सुबह से लेकर शाम तक उसका मुख सूर्य की तरफ ही रहता था। इसलिए कण्व ऋषी उसे 'सूरज मुखी' कहने लगे।

मारिषा का प्रेम अधूरा रहनेवाला था। इस जन्म में भी सूर्य देव अपना वादा भूल गए। कण्व ऋषीने अपनी दिव्य दृष्टी से मारिषा की चाहत को जाना। अपने कमंडलू से उन्होने मंत्र से भारित पानी मारिषा पर छिडक दिया और उसे वरदान दिया तुम्हारी यह प्रेम कहाँनी जन्मो जन्मों तक याद रखी जाएगी। तुम्हें सूरज मुखी के नाम से जाना जाएगा। और वह एक सुंदर फूल में परिवर्तित हुई। तबसे सूरजमुखी का फूल सूर्य की प्रतीक्षा दिनभर करता रहता है।





प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

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द एम्प्रेस

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द हेरोफंट

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