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एट ओफ स्वोर्ड्स

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अपराईट भविष्य कथन का महत्व



कमजोरी, अनिर्णय, निंदा, नकारात्मक विचार, आत्म-प्रतिबंध, कारावास, पीड़ित मानसिकता

भगवान शनि के आठ पत्नियों में कलह-प्रिया को दूर वनवास में रखा था क्योंकि वह हर बार अन्य पत्नियों के साथ झगड़ा कर रही थी। यह दर्शाता है की कमजोरी, अनिर्णय, निंदा, नकारात्मक विचार किसी को भी समाज एवं अपने लोगों से दूर कर सकते हैं। भगवान का लाख शुक्रिया कि यह गुण आपमें नहीं है। क्योंकि आपके पास है वो आत्म-प्रतिबंध है। यह कार्ड निर्देशित करता है कि आपको कारावास से छुटे पीड़ित मानसिकता के लोग त्रासदि निर्माण कर सकते है। कारावास का मतलब यहाँ 'जेल' नहीं है। कारावास से छूटे लोग मतलब, जिनका तलाक हुआ है, जिसने अपने पति या पत्नी को छोडा हुआ है ऐसे आजाद लोग।

रिवर्स भविष्य कथन



स्वतंत्रता, नई शुरुआत, विश्राम, आत्म-सीमित विश्वास, आंतरिक आलोचक, नकारात्मक विचारों को मुक्त करना, नए दृष्टिकोणों के लिए खुला

आप आज जो स्वतंत्रता अनुभव कर रहे हैं वो आपके लिए एक नई शुरुआत लेकर आ रही है। किंतु थोडा विश्राम कीजिए। आत्म-सीमित विश्वास को आंतरिक आलोचक के जैसा लेना है। नकारात्मक विचारों को मुक्त करना है, वो भी तकत के साथ। नए दृष्टिकोणों के लिए खुला जीवन आपका स्वागत कर रहा है। याद रखिए यह वह कलह प्रिया ही थी जिसने भगवान शनीदेव को श्राप दिया था कि तुम्हारा मुख देखना भी मनुष्य वर्जित समझेगा। और परिणाम आपके सामने है। इसलिए जो परेशान करेगा उसे बोल दीजिए कि हमें हल्के में ना लिजिए जनाब।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



लाल रंग के कपड़े में एक महिला को महल के बाहर पिंजरे में बंद कर दिया गया है। उसे रस्सी से बांधा गया है और उसकी आंखों पर पट्टी बंधी है। उसके दाहिनी ओर तीन तलवारें और बाईं ओर पांच तलवारें हैं। जमीन दलदली है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


वह भगवान शनिदेव की आठ में से चौथी पत्नी हैं, 'कलह-प्रिया' । कलह का अर्थ है आनंद लेने के लिए हर बार झगड़ना।

आठ तलवारें शनिदेव की आठ पत्नियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ध्वजिनी, धामिनी, कनकली, कलह प्रिया, कंटकी, तुरंगी, महिषी, अजा। (वह तलवार से मानव शरीर में परिवर्तित हो रही है।)

कलह-प्रिया को भगवान शनि ने वनवास में रखा था क्योंकि वह हर बार अन्य पत्नियों के साथ झगड़ा कर रही थी।

विस्तृत कहानी ।

शनि, भगवान सूर्य तथा छाया के पुत्र हैं। इनकी दृष्टि में जो क्रूरता है, वह इनकी पत्नी के शाप के कारण है। ब्रह्मपुराण के अनुसार, बचपन से ही शनिदेव भगवान विष्णू के भक्त थे। कलह प्रिया से विवाह होने के पश्चात कलहप्रिया चाहती थी कि वे विष्णू भगवान की साधना छोड दे।

पत्नी सती-साध्वी और परम तेजस्विनी थीं। एक बार पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से वे इनके पास पहुचीं पर शनि भगवान विष्णू के ध्यान में मग्न थे। इन्हें बाह्य जगत की कोई सुधि ही नहीं थी। पत्नी प्रतीक्षा कर थक गईं तब क्रोधित हो उसने इन्हें शाप दे दिया कि आज से तुम जिसे देखोगे वह नष्ट हो जाएगा।

ध्यान टूटने पर जब शनिदेव ने उसे मनाया और समझाया तो पत्नी को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ, किन्तु शाप के प्रतिकार की शक्ति उसमें ना थी। तभी से शनिदेव अपना सिर नीचा करके रहने लगे। क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके द्वारा किसीका अनिष्ट हो।




प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

द फूल

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द हाई प्रिस्टेस

द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

जस्टिस

द हैंग्ड मैन

द डेथ

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