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अपराईट भविष्य कथन का महत्व



टूटा हुआ रिश्ता, गृहयुद्ध, दिल टूटना, भावनात्मक दर्द, दुःख, चोट

कार्ड के अनुसार आपके पास है एक टूटा हुआ दिल और है उसमें ढेर सारी यादे। दिल टूटना केवल प्रेमीयोंका नहीं होता। माता-पिता से हमारा दिल टूटता है। भाई या बहन से हमारा दिल टूटता है। जिस कम्पनी या ओर्गनायजेशन के लिए या बोस के लिए आप दिल और जान लगा लेते हैं वहाँ से दिल टूटता है। जिस मित्र के लिए आप बहोत कुछ करते वहाँ से दिल टूटता है। पति का पत्नी से या पत्नि का पति से दिल टूटता है।

इस प्रकार से हजारो जख्म खाए आपका दिल टूटा हुआ रिश्ता महसूस कर रहा है। अगर दिल टूटता है तो गृहयुद्ध होना स्वाभाविक है। गृहयुद्ध मतलब हम किसी के साथ ताबडतोब युद्ध करे यह जरूरी नहीं। हमारे मन मस्तिष्क में विचारों का सैलाब उफान पर आता है। अंदर ही अंदर हम टूटने लगते हैं बिखरने लगते हैं। वो अंदरुनी लडाई गृहयुद्ध कहलाती है। दिल टूटना हमें भावनात्मक दर्द देता है। जिससे मिलता है तो केवल दुःख दर्द और चोट खाया जीवन।

रिवर्स भविष्य कथन



दुःख, हानि, भ्रम, नकारात्मक आत्म-चर्चा, दर्द से मुक्ति, आशावाद, क्षमा

इस कार्ड की खासियत यह है कि इसके दोनों तरफ एक ही प्रकार का माहौल है। दुःख का माहौल हानि का माहौल।दिल टूटने से अति विचार आते हैं अति विचार से हम भ्रम की अवस्था में चले जाते हैं।फिर शुरू होता है आत्मग्लानी का दौर। अपने आप को दोष देने का कभी ना खत्म होनेवाला सिलसिला।एक नकारात्मक आत्म-चर्चा। फिर हम बहोत बेकरारी से दर्द से मुक्ति पाना चाहते हैं। मन में झूठा ही सही आशावाद पनपने लगता है।दिर वे सब लोग जिन्होने हमें जख्मी किया ठेस पहुंचाई उन सब लोगों को हम क्षमा करते हैं। क्योंकि इस लडाई में हम थक जाते है, टूट जाते है फिर आत्मसमर्पण के बजाय उन्हे हम माफ कर देते हैं। एक नई उडान भरने के लिए।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



एक दिल आसमान से गिर रहा है, जिसमें से तीन तलवारें आरपार गई हुई है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


तूफानी आकाश के नीचे एक दिल तीन शाही तलवारों से जख्मी है। तीनों तलवारें आरपार गई हुई है।

यह चारुलता नाम की एक माँ का हृदय है। उसका पुत्र लक्षद्युम्न एक धोखेबाज राजकुमारी माहिकावती का दीवाना था। माहिकावती ने लक्ष्यद्युम्न से अपने प्यार को साबित करने के लिए अपनी माँ का दिल लाने को कहा। उसने अपनी मां को छुरा घोंपा और दिल को अपने हाथ में लिए हुए था। वह जल्दबाजी में महिकावती की ओर भाग रहा था। वह लड़खड़ा गया और दिल आसमान में उछल पड़ा।

दिल से आवाज आई, "बेटा तुम्हें कोई खरोच तो नहीं आई.. मेरे बच्चे अपना ख्याल रखना!"

(विस्तृत कहानी पढ़ें।)

प्राचीन काल में खांदेश राज्य पर रानी चारुलता का राज था। रानी चारुलता को दुर्गा माता का विशेष वरदान प्राप्त था। माता गुर्गा के आशिर्वाद से उसके राज में हर कोई आनंदमय जीवन व्यतीत कर रहा था। रानी चारुलता के उपर स्वयं वरुण देव प्रसन्न थे इसलिए वहा कभी सूखा अकाल अहीं आता था।

समय का पहिया घूमता गया और उसका राजपुत्र लक्षद्युम्न विवाह योग्य बन गया।

एक दिन जब राजपुत्र जंगल में शिकार के लिए गया था तब अपना रास्ता भटक गया। भटकते भटकते वो अत्यंत दूर असुर राज महिष नगरी में पहुंच गया। महिषासुर की वंशज महिकावती उस वक्त राज सिंघासन पर विराजमान थी।

उसके पिता महिष्केतु अपने राज्य की सीमा बढाने के लिए लंका पर आक्रमण के लिए गए थे।

राजकुमारी माहिकावती धोखेबाज एवं कपट कारस्तानी थी। उसने राज कुमार को अपना बंदी नहीं बनया बल्की उसका भव्य स्वागत किया। राजकुमार को हर एक प्रकार से वश किया गया। राजकुमार महिकावती के प्रेम में पागल हो गया। उसे दिन रात अब महिकावती ही नजर आने लगी। देखते देखते वह अपनी माता को भूल गया। वह अपने राज पाट को भूल गया। सम्पूर्ण जाल बिछाने के बाद एक दिन प्रणय क्रीडा करते वक्त महिकावती ने राजकुमार की आंखो में आंखे डाली और उसे देखती रही। राज कुमार ने पूछा प्राणप्रिये मैं क्या करूँ जिससे तुम्हे लगेगा कि मैं इस दुनिया का सबसे बेहतरीन प्रेम पुरुष हूँ।

राज कुमारी महिकावती ने अपनी मांग रखी,' अपने माँ को काटकर उसका धडकता दिल मेरे लिए लेकर आओ।'

राजकुमार ने हामी भरी। वो अपने राज्य में वापस आया। वापस आने पर भी वो उदास रहता था। अपनी माँ से ठीक बात भी नहीं करता था। एक जगह पर महिकावती के दूत हर दिन आकर केवल इतना ही कहते कि वचन तो याद है ना? दुसरी जगह पर रानी माँ को कैसे धोखा दूँ यह भी सोच रहा था।

रानी माँ अपने बेटे को लेकर परेशान थी। बेटा माँ से बात ही नहीं करता था। एक दिन अमावस की रात घोर अंधेरे का फायदा उठाकर राजकुमार अपनी माँ के महल में दाखिल हुआ। छुरे से माँ को काट दिया और उसका दिल काटकर अपने हाथों में लिया। प्रेम में पागल राजकुमार जंगल के रास्ते महिकावती को मिलने के लिए दौड रहा था। उसे लग रहा था कि जिंदा दिल ही मैं महिकावती को भेंट दे दूँ।

और अंधेरे में उसके पैर को ठेस लगी। वो नीचे गिर गया और हाथ का दिल भी गिर गया। राजकुमार उठकर सम्भल रहा था कपडे ठीक कर रहा था कि माँ के दिल से आवाज आयी,' बेटा तुम्हे खरोच तो नहीं आई ना..! और राजकुमार स्तब्ध रह गया।

कि यह मैंने क्या कर दिया। पश्चात्ताप में राजकुमार विलाप करने लगा। आसमान में बिजली कडकी उस वक्त माता दुर्गा अवतरीत हुई। अपने पावन हाथों से माता ने रानी चारुलता को जीवित किया और राजपुत्र लक्षद्युम्न को अपने माँ के प्रति के कर्तव्य को सजग करवाया, जिससे झूठे प्रेम के जुनून को भूलने में वो कामयाब हो गया। उधर भयानक भूकम्प के कारण महिष नगर हमेशा हमेशा के लिए धरती में समा गया।





प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

द फूल

द मैजिशियन

द हाई प्रिस्टेस

द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

जस्टिस

द हैंग्ड मैन

द डेथ

टेम्परंस

द डेविल

द टावर

द स्टार

द मून

द सन

जजमेंट

द वर्ल्ड

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