tarot.ideazunlimited.net.Four of pentacles

फोर ऑफ पेंटाकल्स

For English please Click here
कृपया एमेजोन से खरिदिए
कृपया फ्लिपकार्ट से खरिदिए
हमसे डायरेक्ट खरिदिए +91 9723106181


अपराईट भविष्य कथन का महत्व



बेईमान, लालच, कंजूस, पैसे की बचत, सुरक्षा, रूढ़िवाद, कमी, नियंत्रण।

कार्ड दर्शाता है की आप जितशत्रु के जैसे कई बेईमान लोगों से घिरे हुए हैं। जिनमें लालच भयंकर है। जो अति कंजूस है जो पैसे की बचत के नाम पर सब को धोखा देते हैं। लेकिन जितशत्रु के जैसे आप भी शत्रुओंको जीतते हैं।

आपके लिए फिजूल खर्च से बचना ही पैसे की बचत है। जो कि बिलकुल सही है।आप हमेशा जीवन एवं आर्थिक रूप से सुरक्षा पसंद करते है। आप रूढ़िवाद को माननेवाले लोगों में से नहीं है। जब बेटे अजितनाथ ने सन्यास लेने के निर्णय की घोषणा की तो उनके पिता जितशत्रु ने मुस्काताहट के साथ उनके निर्णय का स्वागत किया।

यही आपकी कमी है। धन सम्पत्ती से आप समाधान के स्थिती मे है। परिस्थिती नियंत्रण में रखना कोई आपसे सीखे। बहुत बढिया।

रिवर्स भविष्य कथन



खर्च, बाधाएं, सांसारिक संपत्ति, अधिक खर्च, लालच, आत्मरक्षा।

अपनी शाख को बचाने के लिए हमेशा आपको ही खर्च करना पडता है। लेकिन चलता है। अनेक बाधाएं आने के बावजूद भी आप सत्य का पक्ष नहीं छोडते, अच्छा है। सांसारिक संपत्ति को जुटाते जुटाते आपकी बहुत एनर्जी खर्च हो जाती है। कोई आपके साथ नहीं होता जब धन कमाने की बात आती है। जिससे अधिक खर्च हो ही जाता है। आपको सब कुछ इतना बहर भर कर मिला है कि आपमें लालच नहीं बचा।आपकी एक ही फिलासफी है कि आत्मरक्षा स्व अभिमान के लिए अगर कुछ धन खर्च हो भी जाए ओ परवाह नहीं है। लेकिन अधिक खर्च जोश में नहीं करे, उससे कुछ मिलेगा नहीं।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



एक अमीर आदमी अपने मरून-काले कपड़ों में शहर के बाहर बैठा है। वह अपनी बाहों में एक पेंटाकल पकड़े हुए है, एक उसके सिर पर है, दूसरे दो पेंटाकल्स उसके पैरों पर है। वह मुस्कुरा रहा है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


एक अमीर आदमी अपने सफेद कपड़ों में लाल कपड़े के आसन पर बैठा है। उसकी समृद्धि उसके सिर के पेंटाकल के साथ धन्य हुई है। दाहिने हाथ में उसने एक पेंटाकल पकडा है और अन्य दो पेंटाकल उसके पैरों के पास हैं। वह मुस्कुरा रहा है।

वह जितशत्रु हैं। अजितनाथ के पिता। विजया अजितनाथ की माता थी। जितशत्रु अत्यंत धनी था। उसके अस्तित्व की गणना अवधि के अवसर्पिणी काल के रूप में की जाती है। अवसर्पिणी काल, समय की अनंतता को परिभाषित करता है। कई वर्षों के बाद जीतशत्रु को अजितनाथ के पिता के रूप में पहचान मिली। जब अजितनाथ ने सन्यास लेने के निर्णय की घोषणा की तो उनके पिता ने मुस्काताहट के साथ उनके निर्णय का स्वागत किया।

अजीतनाथ को जैन धर्म के दूसरे तीर्थंकर के रूप में जाना जाता है।जैन धर्म में 24 तीर्थंकर माने जाते हैं।

इस जम्बूद्वीप के अतिशय प्रसिद्ध पूर्व विदेहक्षेत्र में सीता नदी के दक्षिण तट पर ‘वत्स' नाम का विशाल देश है। उसके सुसीमा नामक नगर में विमलवाहन राजा राज्य करते थे। किसी समय राज्यलक्ष्मी से निस्पृह होकर राजा विमलवाहन ने अनेकों राजाओं के साथ गुरू के समीप में दीक्षा धारण कर ली। ग्यारह अंग का ज्ञान प्राप्त कर दर्शनविशुद्धि आदि सोलहकारण भावना का चिंतवन करके तीर्थंकर नामकर्म का बंध कर लिया। आयु के अन्त में समाधिमरण करके विजय नामक अनुत्तर विमान में तेंतीस सागर आयु के धारक अहमिंद्र हो गये।

इन महाभाग के स्वर्ग से पृथ्वीतल पर अवतार लेने के छह माह पूर्व से ही प्रतिदिन जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र की अयोध्या नगरी के अधिपति इक्ष्वाकुवंशीय काश्यपगोत्रीय राजा जितशत्रु के घर में इन्द्र की आज्ञा से कुबेर ने साढ़े तीन करोड़ रत्नों की वर्षा की थी। ज्येष्ठ मास की अमावस के दिन विजयसेना ने सोलह स्वप्नपूर्वक भगवान को गर्भ में धारण किया और माघ शुक्ल दशमी के दिन अजितनाथ तीर्थंकर को जन्म दिया। देवों ने ऋषभदेव के समान इनके भी गर्भ, जन्मकल्याणक महोत्सव मनाये।

अजितनाथ की आयु बहत्तर लाख पूर्व की, शरीर की ऊँचाई चार सौ पचास धनुष की और वर्ण सुवर्ण सदृश था। एक लाख पूर्व कम अपनी आयु के तीन भाग तथा एक पूर्वांग तक उन्होंने राज्य किया। किसी समय भगवान महल की छत पर सुख से विराजमान थे, तब उल्कापात देखकर उन्हें वैराग्य हो गया पुन: देवों द्वारा आनीत ‘सुप्रभा' पालकी पर आरूढ़ होकर माघ शुक्ल नवमी के दिन सहेतुक वन में सप्तपर्ण वृक्ष के नीचे एक हजार राजाओं के साथ बेला का नियम लेकर दीक्षित हो गये।

प्रथम पारणा में साकेत नगरी के ब्रह्म राजा ने पायस (खीर) का आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये।

बारह वर्ष की छद्मस्थ अवस्था के बाद पौष शुक्ल एकादशी के दिन सायं के समय रोहिणी नक्षत्र में सहेतुक वन में सप्तपर्ण वृक्ष के नीचे केवलज्ञान को प्राप्त कर सर्वज्ञ हो गये। इनके समवसरण में सिंहसेन आदि नब्बे गणधर थे। एक लाख मुनि, प्रकुब्जा आदि तीन लाख बीस हजार आर्यिकाएँ, तीन लाख श्रावक, पाँच लाख श्राविकाएँ और असंख्यात देव-देवियाँ थीं। भगवान बहुत काल तक आर्य खंड में विहार करके भव्यों को उपदेश देकर अंत में सम्मेदाचल पर पहुँचे और एक मास का योग निरोध कर चैत्र शुक्ला पंचमी के दिन प्रात:काल के समय सर्वकर्म से छूटकर सिद्ध पद प्राप्त किया।




प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

द फूल

द मैजिशियन

द हाई प्रिस्टेस

द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

जस्टिस

द हैंग्ड मैन

द डेथ

टेम्परंस

द डेविल

द टावर

द स्टार

द मून

द सन

जजमेंट

द वर्ल्ड

एस ऑफ कप्स

टू ऑफ कप्स

थ्री ऑफ कप्स

फोर ऑफ कप्स

फाइव ऑफ कप्स

सिक्स ऑफ कप्स

सेवन ऑफ कप्स

एट ऑफ कप्स

नाइन ऑफ कप्स

टेन ऑफ कप्स

पेज ऑफ कप्स

नाईट ऑफ कप्स

क्वीन ऑफ कप्स

किंग ऑफ कप्स

एस ओफ स्वोर्ड्स

टू ओफ स्वोर्ड्स

थ्री ओफ स्वोर्ड्स

फोर ओफ स्वोर्ड्स

फाईव ओफ स्वोर्ड्स

सिक्स ओफ स्वोर्ड्स

सेवन ओफ स्वोर्ड्स

एट ओफ स्वोर्ड्स

नाइन ओफ स्वोर्ड्स

टेन ओफ स्वोर्ड्स

पेज ओफ स्वोर्ड्स

नाईट ओफ स्वोर्ड्स

क्वीन ओफ स्वोर्ड्स

किंग ओफ स्वोर्ड्स

एस ओफ वांड

टू ओफ वांड

थ्री ओफ वांड

फोर ओफ वांड

फाइव ओफ वांड

सिक्स ओफ वांड

सेवन ओफ वांड

एट ओफ वांड

नाइन ओफ वांड

टेन ओफ वांड

पेज ओफ वांड

नाईट ओफ वांड

क्वीन ओफ वांड

किंग ओफ वांड

एस ऑफ पेंटाकल्स

टू ऑफ पेंटाकल्स

थ्री ऑफ पेंटाकल्स

फोर ऑफ पेंटाकल्स

फाईव ऑफ पेंटाकल्स

सिक्स ऑफ पेंटाकल्स

सेवन ऑफ पेंटाकल्स

एट ऑफ पेंटाकल्स

नाइन ऑफ पेंटाकल्स

टेन ऑफ पेंटाकल्स

पेज ऑफ पेंटाकल्स

नाईट ऑफ पेंटाकल्स

क्वीन ऑफ पेंटाकल्स

किंग ऑफ पेंटाकल्स