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सेवन ऑफ पेंटाकल्स

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अपराईट भविष्य कथन का महत्व



प्रयास, कड़ी मेहनत, विकास, पुनर्मूल्यांकन, दीर्घकालिक दृष्टिकोण, स्थायी परिणाम, दृढ़ता, निवेश।

यह कार्ड बली राजा, किसान को दर्शाता है। किसान मतलब प्रयास, कड़ी मेहनत, विकास, पुनर्मूल्यांकन, दीर्घकालिक दृष्टिकोण, स्थायी परिणाम, दृढ़ता यह सभी गुण आपके अंदर है। निवेश करना भी आप बेहतर ढंग से जानते हैं।

रिवर्स भविष्य कथन



अधीरता, धीमी प्रगति, निवेश, दीर्घकालिक दृष्टि की कमी, सीमित सफलता या इनाम

महाबली किसान के दोष भी अंशत: आपको सताएंगे। जैसे की किसान का जीवन कुदरती ऋतुचक्र पर आधारित होता है। इसीलिए उसकी धीमी प्रगति होती है।किसान ने कितनी भी मेहनत की तो भी उसे कुदरती ऋतुचक्र का इंतजार करना ही पडेगा। उसके निवेश भी दीर्घकालीक होने चाहिए।लेकिन ऐसा नहीं होता क्योंकि किसान में दीर्घकालिक दृष्टि की कमी होती है। हर एक किसान में अधीरता होती है। ऋतुचक्र, सीमीत जमीन, सीमीत निवेश के कारण उसे मिलनेवाली सफलता सीमित सफलता होती है। उसे जो इनाम मिलता है वह मेहनत के मुकाबले काफी कम होता है। आपको भी मेहनत के मुकाबले मिलनेवाला रिजल्ट या इनाम काफी कम होता है। क्या करे, नसीब बोलकर आगे बढते रहिए।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



एक अधेड़ किसान लाठी पर मुह लटकाकर अपनी फसल देख रहा है। वह अपने नारंगी नीले रंग के कपड़ों में है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


इस प्राचीन भारतीय कार्ड में एक दक्षिण भारतीय बूढ़ा किसान मानसून में अपना खेत जोत रहा है। वह अपने दो बैलों के साथ काम कर रहा है। आकाश का प्रतिबिम्ब खेत के पानी में है। सात पेंटाकल्स आकाश में फैले हुए हैं।

वह राजा महाबली हैं। भारत देश में हर किसान बली राजा का रूप है। उनका राज्य दक्षिण भारत महाबलीपुरम में था।

वह दानव राज था, आचार्य शुक्राचार्य की सहायता से उसने स्वर्ग, पाताल और पृथ्वी पर विजय प्राप्त की। इंद्र पर विजय प्राप्त करने के बाद उसका अहंकार चरम पर था। इसलिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से महाबली को रोकने का अनुरोध किया।

भगवान विष्णु ने खुद को एक छोटे आदमी, वामन में बदल लिया।

महाबली को अपनी शक्तियों पर बहुत गर्व था, वह छोटू दुबले-पतले आदमी पर हंसा। वामन ने तीन पैर जमीन का टुकड़ा मांगा। महाबली ने उन्हें भूमि की पेशकश की। भगवान विष्णु ने तब स्वर्ग और पृथ्वी को दो विशाल चरणों से ढँक दिया, तब बली ने उन्हें अपना सिर अर्पित किया। भगवान विष्णु यानि वामन ने राजा को खत्म करने के लिए तीसरा कदम उठाया।

उस समय माता पार्वती ने भगवान शिवाजी पर चावल के सात रहस्यमयी बीज फेंके। चावल के वे सात बीज भारत के दक्षिण भाग में फैले हुए थे।

ऐसा माना जाता है कि "ओणम" के शुभ दिन पर बली पृथ्वी पर आते हैं। राजा बलि अभी भी अपने खेत में कड़ी मेहनत कर रहे हैं, ताकि मनुष्य का पेट भरने के लिए अनाज पैदा कर सकें।

इसलिए भारत में किसान को "बली राजा" राजा बलि के नाम से भी जाना जाता है।

(बली राजा की विस्तृत कथा ।)

बलि सप्तचिरजीवियों में से एक, पुराणप्रसिद्ध विष्णुभक्त, दानवीर, महान् योद्धा थे। विरोचनपुत्र दैत्यराज बलि सभी युद्ध कौशल में निपुण थे। वे वैरोचन नामक साम्राज्य के सम्राट थे जिसकी राजधानी महाबलिपुर थी। इन्हें परास्त करने के लिए विष्णु का वामनावतार हुआ था।

भागवत कथा के अनुसार विष्णु ने इन्द्र का देवलोक में अधिकार पुनः स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। बली विरोचन के पुत्र तथा प्रह्लाद के पौत्र थे और एक दयालु असुर राजा के रूप में जाने जाते थे। यह भी कहा जाता है कि अपनी तपस्या तथा ताक़त के माध्यम से बली ने त्रिलोक पर आधिपत्य हासिल कर लिया था। वामन, एक बौने ब्राह्मण के वेष में बली के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। गुरु शुक्राचार्य के चेताने के बावजूद बली ने वामन को वचन दे डाला।

वामन ने अपना आकार इतना बढ़ा लिया कि पहले ही कदम में पूरा भूलोक (पृथ्वी) नाप लिया। दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया। इसके पश्चात् ब्रह्मा ने अपने कमण्डल के जल से वामन के पाँव धोये। इसी जल से गंगा उत्पन्न हुयीं। तीसरे कदम के लिए कोई भूमि बची ही नहीं। वचन के पक्के बली ने तब वामन को तीसरा कदम रखने के लिए अपना सिर प्रस्तुत कर दिया। वामन बली की वचनबद्धता से अति प्रसन्न हुये। चूँकि बली के दादा प्रह्लाद विष्णु के परम् भक्त थे, वामन (विष्णु) ने बली को पाताल लोक देने का निश्चय किया और अपना तीसरा कदम बाली के सिर में रखा जिसके फलस्वरूप बली पाताल लोक में पहुँच गये।

एक और कथा के अनुसार वामन ने बली के सिर पर अपना पैर रखकर उनको अमरत्व प्रदान कर दिया। विष्णु अपने विराट रूप में प्रकट हुये और राजा को महाबली की उपाधि प्रदान की क्योंकि बली ने अपनी धर्मपरायणता तथा वचनबद्धता के कारण अपने आप को महात्मा साबित कर दिया था। विष्णु ने महाबली को आध्यात्मिक आकाश जाने की अनुमति दे दी जहाँ उनका अपने सद्गुणी दादा प्रहलाद तथा अन्य दैवीय आत्माओं से मिलना हुआ।

वामनावतार के रूप में विष्णु ने बलि को यह पाठ दिया कि दंभ तथा अहंकार से जीवन में कुछ हासिल नहीं होता है और यह भी कि धन-सम्पदा क्षणभंगुर होती है। ऐसा माना जाता है कि विष्णु के दिये वरदान के कारण प्रति वर्ष बली धरती पर अवतरित होते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी प्रजा खु़शहाल है।

लोक मान्यता है कि पार्वती द्वारा शिव पर उछाले गए सात चावल सात रंग की बालू बनकर कन्याकुमारी के पास बिखर गए। 'ओणम' के अवसर पर राजा बलि केरल में प्रतिवर्ष अपनी प्यारी प्रजा को देखने आते हैं। राजा बलि का टीला मथुरा में है।





प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

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द एम्प्रेस

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द हेरोफंट

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द व्हील ऑफ फॉर्चून

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